Khan Hindi Forum
Would you like to react to this message? Create an account in a few clicks or log in to continue.


हिंदी का फोरम
 
HomeHome  GalleryGallery  SearchSearch  Latest imagesLatest images  RegisterRegister  Log inLog in  
खान हिंदी फोरम में आप सभी का स्वागत है|

Share | 
 

 राज कपूर शोमेन

View previous topic View next topic Go down 
AuthorMessage
sagar
सदस्य
सदस्य
sagar

Posts : 37
Thanks : 0
Join date : 10.03.2011
Location : hindiforum.in/forum.php

राज कपूर शोमेन Empty
PostSubject: राज कपूर शोमेन   राज कपूर शोमेन EmptyFri Apr 15, 2011 9:35 pm

Back to top Go down
sagar
सदस्य
सदस्य
sagar

Posts : 37
Thanks : 0
Join date : 10.03.2011
Location : hindiforum.in/forum.php

राज कपूर शोमेन Empty
PostSubject: Re: राज कपूर शोमेन   राज कपूर शोमेन EmptyFri Apr 15, 2011 9:36 pm

रणबीर राज कपूर (जन्म- 14 दिसंबर, 1924, पेशावर, पाकिस्तान (पहले भारत में); मृत्यु- 2 जून, 1988, नई दिल्ली), हिन्दी फ़िल्म अभिनेता, निर्माता व निर्देशक हैं। राज कपूर भारत, मध्य-पूर्व, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन में लोकप्रिय हैं। राज कपूर जी को अभिनय विरासत में ही मिला था। इनके पिता पृथ्वीराज अपने समय के मशहूर रंगकर्मी और फ़िल्म अभिनेता हुए हैं। राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर ने अपने पृथ्वी थियेटर के जरिए पूरे देश का दौरा किया। राज कपूर भी उनके साथ जाते थे और रंगमंच पर काम भी करते थे। पृथ्वीराज कपूर को मरणोपरांत दादासाहेब फालके अवार्ड दिया गया।
Back to top Go down
sagar
सदस्य
सदस्य
sagar

Posts : 37
Thanks : 0
Join date : 10.03.2011
Location : hindiforum.in/forum.php

राज कपूर शोमेन Empty
PostSubject: Re: राज कपूर शोमेन   राज कपूर शोमेन EmptyFri Apr 15, 2011 9:37 pm

राज कपूर हिन्दी सिनेमा जगत का वह नाम है, जो पिछले आठ दशकों से फ़िल्मी आकाश पर जगमगा रहा है और आने वाले कई दशकों तक भुलाया नहीं जा सकेगा। राज कपूर की फ़िल्मों की पहचान उनकी आँखों का भोलापन ही रहा है। पृथ्वीराज कपूर के सबसे बड़े बेटे राज कपूर का जन्म 14 दिसम्बर 1924 को पेशावर में हुआ था। उनका बचपन का नाम रणबीर राज कपूर था। राज कपूर की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई, लेकिन पढ़ाई में उनका मन कभी नहीं लगा। यही कारण था कि राज कपूर ने 10 की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। इस मनमौजी ने अपने विद्यार्थी जीवन में किताबें बेचकर खूब केले, पकोड़े और चाट खाई।

राज कपूर स्टाम्प


सन 1929 में जब पृथ्वीराज कपूर मुंबई आए, तो उनके साथ मासूम राज कपूर भी आ गए। पृथ्वीराज कपूर सिद्धांतों के पक्के इंसान थे। राज कपूर को उनके पिता ने साफ कह दिया था कि राजू, नीचे से शुरुआत करोगे तो ऊपर तक जाओगे। राज कपूर ने पिता की यह बात गाँठ बाँध ली और जब उन्हें सत्रह वर्ष की उम्र में रणजीत मूवीटोन में साधारण एप्रेंटिस का काम मिला, तो उन्होंने वजन उठाने और पोंछा लगाने के काम से भी परहेज नहीं किया। काम के प्रति राज कपूर की लगन पंडित केदार शर्मा के साथ काम करते हुए रंग लाई, जहाँ उन्होंने अभिनय की बारीकियों को समझा। एक बार राज कपूर ने ग़लती होने पर केदार शर्मा जी से चाँटा भी खाया था। उसके बाद एक समय ऐसा भी आया, जब केदार शर्मा ने अपनी फ़िल्म 'नीलकमल' (1947) में मधुबाला के साथ राज कपूर को नायक के रूप में प्रस्तुत किया।
__________________
Back to top Go down
sagar
सदस्य
सदस्य
sagar

Posts : 37
Thanks : 0
Join date : 10.03.2011
Location : hindiforum.in/forum.php

राज कपूर शोमेन Empty
PostSubject: Re: राज कपूर शोमेन   राज कपूर शोमेन EmptyFri Apr 15, 2011 9:38 pm

अभिनय की शुरुआत

राज कपूर ने 1930 के दशक में बॉम्बे टॉकीज़ में क्लैपर-बॉय और पृथ्वी थिएटर में एक अभिनेता के रूप में काम किया, ये दोनों कंपनियाँ उनके पिता पृथ्वीराज कपूर की थीं। राज कपूर बाल कलाकार के रूप में 'इंकलाब' (1935) और 'हमारी बात' (1943), 'गौरी' (1943) में छोटी भूमिकाओं में कैमरे के सामने आ चुके थे। राज कपूर ने फ़िल्म वाल्मीकि (1946), 'नारद और अमरप्रेम' (1948) में कृष्ण की भूमिका निभाई थी। इन तमाम गतिविधियों के बावज़ूद उनके दिल में एक आग सुलग रही थी कि वे स्वयं निर्माता-निर्देशक बनकर अपनी स्वतंत्र फ़िल्म का निर्माण करे। उनका सपना 24 साल की उम्र में फ़िल्म 'आग' (1948) के साथ पूरा हुआ। राज कपूर ने पर्दे पर पहली प्रमुख भूमिका आग (1948) में निभाई, जिसका निर्माण और निर्देशन भी उन्होंने स्वयं किया था। इसके बाद राज कपूर के मन में अपना स्टूडियो बनाने का विचार आया और चेम्बूर में चार एकड़ ज़मीन लेकर 1950 में उन्होंने अपने आर. के. स्टूडियो की स्थापना की और 1951 में 'आवारा' में रूमानी नायक के रूप में ख्याति पाई। राज कपूर ने 'बरसात' (1949), 'श्री 420' (1955), 'जागते रहो' (1956) व 'मेरा नाम जोकर' (1970) जैसी सफल फ़िल्मों का निर्देशन व लेखन किया और उनमें अभिनय भी किया। उन्होंने ऐसी कई फ़िल्मों का निर्देशन किया, जिनमें उनके दो भाई शम्मी कपूर व शशि कपूर और तीन बेटे रणधीर, ऋषि व राजीव अभिनय कर रहे थे। यद्यपि उन्होंने अपनी आरंभिक फ़िल्मों में रूमानी भूमिकाएँ निभाई, लेकिन उनका सर्वाधिक प्रसिद्ध चरित्र 'चार्ली चैपलिन' का ग़रीब, लेकिन ईमानदार 'आवारा' का प्रतिरूप है। उनका यौन बिंबों का प्रयोग अक्सर परंपरागत रूप से सख्त भारतीय फ़िल्म मानकों को चुनौती देता था।
Back to top Go down
sagar
सदस्य
सदस्य
sagar

Posts : 37
Thanks : 0
Join date : 10.03.2011
Location : hindiforum.in/forum.php

राज कपूर शोमेन Empty
PostSubject: Re: राज कपूर शोमेन   राज कपूर शोमेन EmptyFri Apr 15, 2011 9:38 pm

प्रसिद्ध गीत

राज कपूर के चरित्र चाहे सीधे-सादे गाँव वाले के हों, चाहे मुम्बइया चॉल-वासी स्मार्ट युवा के, वह एक ऐसा आम हिन्दुस्तानी था कि सीधा-पन और अपने सामाजिक-भावनात्मक मूल्यों के प्रति उसका लगाव छ्लकता था। उसकी आँखों-बातों से और उसके किसी कठिन परिस्थिति में पड़ने पर लिए जाने वाले निर्णय से उनका लगाव दिखता था। राज कपूर का निर्णय हमेशा आशावाद से भरा और मानवता की जीत का होता था, भले ही व्यक्तिगत हार या तात्कालिक नुक्सान अवश्यम्भावी हो।
राज कपूर की फ़िल्मों के कई गीत बेहद लोकप्रिय हुए, जिनमें 'मेरा जूता है जापानी', 'आवारा हूँ' और 'ए भाई ज़रा देख के चलो' शामिल हैं।
राज कपूर का प्रिय रंग

बचपन में ही राज कपूर को सफ़ेद साड़ी पहने स्त्री से मोह हो गया था। इस मोह को उन्होंने अपने जीवन भर बनाए रखा। राज कपूर की फ़िल्मों की तमाम हीरोइनों नरगिस, पद्मिनी, वैजयंतीमाला, जीनत अमान, पद्मिनी कोल्हापुरे, मंदाकिनी ने परदे पर सफ़ेद साड़ी पहनी है और घर में इनकी पत्नी कृष्णा ने हमेशा सफ़ेद साड़ी पहनकर अपने शो-मेन के शो को जारी रखा है।
संगीत

संगीत की राज कपूर को अच्छी समझ थी। राज कपूर को गीत बनने के पहले एक बार अवश्य सुनाया जाता था। आर. के. बैनर तले राज कपूर जी ने अपने

* संगीतकार- शंकरजय किशन
* गीतकार- शैलेंद्र, हसरत जयपुरी, विट्ठलभाई पटेल, रविन्द्र जैन
* गायक- मुकेश, मन्ना डे
* छायाकार- राघू करमरकर
* कला निर्देशक- प्रकाश अरोरा, राजा नवाथे आदि साथियों की टीम तैयार की। राज कपूर जी ने फ़िल्मी दुनिया में संगठन का जो उदाहरण दिया है, वह बेजोड़ है।

__________________
Back to top Go down
sagar
सदस्य
सदस्य
sagar

Posts : 37
Thanks : 0
Join date : 10.03.2011
Location : hindiforum.in/forum.php

राज कपूर शोमेन Empty
PostSubject: Re: राज कपूर शोमेन   राज कपूर शोमेन EmptyFri Apr 15, 2011 9:40 pm

गायन

राज कपूर ने फ़िल्म 'दिल की रानी' में अपना प्लेबैक पहली बार खुद दिया था। सन 1947 में बनी इस फ़िल्म के संगीत निर्देशक सचिन देव बर्मन थे। इस फ़िल्म में नायिका की भूमिका मधुबाला ने की थी। इस फ़िल्म के गीत का मुखड़ा है- ओ दुनिया के रखवाले बता कहाँ गया चितचोर। इसके अलावा राज कपूर ने फ़िल्म जेलयात्रा में भी एक गीत गाया था।

राज कपूर और नरगिस


राज कपूर


राज कपूर और नरगिस ने 9 वर्ष में 17 फ़िल्मों में अभिनय किया। अलगाव के बाद दोनों ही खामोश रहे। उन दोनों की गरिमामयी खामोशी उस युग का संस्कार थी। सन 1956 में फ़िल्म जागते रहो का अंतिम दृश्य नरगिस की विदाई का दृश्य था। रात भर के प्यासे नायक को मंदिर की पुजारिन पानी पिलाती है। फ़िल्म की वह प्यास सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक थी। राजकपूर और नरगिस के बीच अलगाव की पहली दरार रूस यात्रा के दौरान आई। तब तक 'आवारा' रूस की अघोषित राष्ट्रीय फ़िल्म हो चुकी थी। राज कपूर का मास्को के ऐतिहासिक लाल चौराहे पर नागरिक अभिनंदन किया गया। उसी रात राज कपूर ने नरगिस से कहा 'आई हैव डन इट'। और इसके पूर्व हर सफलता पर राज कपूर कहते थे 'वी हैव डन इट'। दोनों के पास अहम समान था और अनजाने में कहे गए एक शब्द ने उनके संबंधों में दरार डाल दी। वर्षों की अंतरंगता पर यह एक शब्द भारी पड़ गया। राज कपूर और नरगिस जिस तरह अपने प्रेम में महान थे, उसी तरह अपने अलगाव में भी निराले थे। ऋषिकपूर के विवाह में 25 वर्ष बाद नरगिस अपने पति और पुत्र के साथ आर. के. स्टूडियो आई थीं। उस यादगार मुलाकात में राज कपूर मौन रहे। यहाँ तक कि राज कपूर की बहुत कुछ बोलने वाली आँखें भी मौन ही रही। कृष्णा जी से नरगिस ने कहा कि आज पत्नी और माँ होने पर उन्हें उनकी पीड़ा का अहसास हो रहा है। किंतु गरिमामय कृष्णा जी ने उन्हें समझाया कि मन में मलाल न रखें, वे नहीं होती तो शायद कोई और होता। राज कपूर के सफल होने में बहुत-सा श्रेय कृष्णा जी को जाता है। आज भी वह महिला फ़िल्म उद्योग में व्यवहार का प्रकाश स्तंभ है।
Back to top Go down
sagar
सदस्य
सदस्य
sagar

Posts : 37
Thanks : 0
Join date : 10.03.2011
Location : hindiforum.in/forum.php

राज कपूर शोमेन Empty
PostSubject: Re: राज कपूर शोमेन   राज कपूर शोमेन EmptyFri Apr 15, 2011 9:40 pm

शोमैन

हिन्दी फ़िल्मों में राज कपूर को पहला शोमैन माना जाता है क्योंकि उनकी फ़िल्मों में मौज-मस्ती, प्रेम, हिंसा से लेकर अध्यात्म और समाजवाद तक सब कुछ मौजूद रहता था और उनकी फ़िल्में एवं गीत आज तक भारतीय ही नहीं तमाम विदेशी सिने प्रेमियों की पसंदीदा सूची में काफ़ी ऊपर बने रहते हैं। राज कपूर हिन्दी सिनेमा के महानतम शोमैन थे जिन्होंने कई बार सामान्य कहानी पर इतनी भव्यता से फ़िल्में बनाईं कि दर्शक बार-बार देखकर भी नहीं अघाते। प्रसिद्ध फ़िल्म समीक्षक विनोद भारद्वाज के अनुसार राज कपूर वास्तविक शोमैन थे। इसके बाद सुभाष घई ने भले ही शोमैन बनने की कोशिश की लेकिन राजकपूर की बात ही कुछ और थी। भारद्वाज के अनुसार राजकपूर की शुरुआती फ़िल्मों की कामयाबी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। राज कपूर की 'आवारा', 'श्री 420', 'जिस देश में गंगा बहती है' आदि फ़िल्मों में समाजवादी सोच विशेष रूप से उभर कर सामने आती है।
Back to top Go down
Sponsored content




राज कपूर शोमेन Empty
PostSubject: Re: राज कपूर शोमेन   राज कपूर शोमेन Empty

Back to top Go down
 

राज कपूर शोमेन

View previous topic View next topic Back to top 
Page 1 of 1

Permissions in this forum:You cannot reply to topics in this forum
Khan Hindi Forum :: मनोरंजन (Entertainment) :: अभिनेता व अभिनेत्री-
Jump to: